11वी योजना दस्तावेजों में उल्लिखित अनुसार भारत सरकार के ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम का लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पेयजल, खाना पकाने तथा अन्य घरेलू आवश्यकताओं के अनुसार स्थायी आधार पर उपलब्ध कराना है। इस बुनियादी आवश्यनकता द्वार न्यूनतम जल गुणवत्ता मानक अवश्य पूरे किए जाने चाहिए और यह सभी स्थितियों में हर समय उपलब्ध होना चाहिए, जिसमें यह पूरी तरह से और आसानी से पहुंच में हों। तथापि, इससे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि पानी के ग्रामीण स्कूलों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में वास्तिविक रूप से पहुंचने पर इसकी गुणवत्ता दूषित हो सकती है। इसलिए मौजूदा ग्रामीण जल कार्यक्रम को सुदृढ़ करने और उसका महत्वत बढ़ाने तथा इस मुख्य चुनौती का समाधान करने के लिए ग्रामीण स्कू्लों में स्टैण्ड एलोन शुद्धिकरण प्रणाली की स्थापना करने के लिए एक कार्यक्रम 2008 से शुरू किया गया है।
प्रौद्योगिकी विकल्पों पर निर्णय लेने के लिए विभाग ने मार्च 2008 में उच्चस्तरीय तकनीकी समिति (एचएलटीसी) का गठन किया था। राज्य सरकारों द्वारा जलमणि कार्यक्रम ग्राम पंचायत/ग्राम जल और स्वच्छता समितियों/स्व-सहायता समूहों के जरिए कार्यान्विकत किया जाता है जिसमें महिला स्व -सहायता समूह, स्कूल समितियां और पीटीए शामिल हैं। तथापि, राज्य सरकारों को यह छूट दी जाती है कि वे अन्य् पणधारकों नामत: एनजीओ, महिला मण्डल, आदि को ग्राम स्तर पर कार्यक्रम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए शामिल कर सकते है। इस कार्यक्रम को चलाने के लिए निधियां राज्य सरकारों द्वारा उनके द्वारा नामित संस्थानों द्वारा ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराई जाती हैं ताकि वे क्षमता निर्माण जागरुकता सृजन/प्रचार और ऐसे अन्य कार्यकलापों से संबंधित कार्यकलापों को कर सके जो कार्यक्रम के सुचारु कार्यान्वयन के लिए आवश्यरक हैं।
जल शुद्धिकरण प्रणाली के स्वामित्व स्कूल प्राधिकारियों के पास है। तथापि, यह ग्राम पंचायतों की प्रत्यक्ष जिम्मे्दारी है कि प्रणाली को प्रभावी ढंग से चलाया जाए और स्कूल के बच्चों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता जल प्राप्त हो सके। यह कार्यक्रम एनआरडीडब्यूमक्यूएमएण्डएस का परिणाम है जो स्कूरलों सहित ग्रामीण समुदाय को अपने निजी जल नमूनों की जांच करने का अधिकार प्रदान करता है। इस कार्यक्रम की सफलता को एनआरडीडब्यूलक्यूएमएण्डएस के अंतर्गत परीक्षा, परिणामों में स्थापना के रूप में जल गुणवत्ताा में हुए सुधार से जांचा जाएगा। इस प्रयोजन के लिए स्कूल प्रबंधन समिति और ग्राम पंचायतों के बीच घनिष्ठ समन्वय किया जाएगा। ग्राम पंचायतों की यह पूरी जिम्मेदारी होगी कि वह यह सुनिश्चित करे कि स्कूलों, में उपलब्ध पेयजल गुणवत्ता्, पंचायत और मात्रा के अनुसार न्यूनतम निर्धारित मानकों को पूरा करता हो।